दुर्गा पूजा
दुर्गा पूजा को UNESCO की प्रतिनिधि सूची में जगह मिली
भारत देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्निवाल और स्ट्रीट आर्ट फेस्टिवल में से एक, कोलकाता में दुर्गा पूजा को 15 दिसंबर को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में जगह बनाकर एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है।
कुल मिलाकर अब देश के 14 का मुहूर्त संस्कृतिक विरासत तत्वों को UNESCO की सूची में अंकित किया जा चुका है।
इसमें रामलीला, योग, राजस्थान का लोकगीत और नृत्य कालबेलिया आदि शामिल है।
नई दिल्ली में UNESCO कार्यालय ने क्या ट्वीट किया?
“#कोलकाता में दुर्गा पूजा को #Intangible Heritage सूची में अंकित किया गया है।
प्रतिनिधि सूची में शिलालेख कई तरीकों में से एक है जिसके द्वारा #UNESCO अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के प्रचार और सुरक्षा की वकालत करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर क्या कहा?
“हर भारतीय के लिए बहुत गर्व और खुशी की बात है!
भारत में ब्रिटिश काउंसिल द्वारा की गई मैपिंग
- इस साल की शुरुआत में, भारत में ब्रिटिश काउंसिल ने वर्ष 2019 के लिए दुर्गा पूजा की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को ₹32,000 करोड़ से अधिक की मैपिंग की थी।
- और कहा था कि यह त्योहार पश्चिम बंगाल के सकल घरेलू उत्पाद का 2.58% योगदान देता है।
Note: आपको बता दें कि 2020 में छऊ नृत्य को भी UNESCO की इस प्रतिष्ठित सूची में अंकित किया जा चुका है।
दुर्गा पूजा का महत्व
- दुर्गा माँ को शक्ति की देवी भी कहा जाता है।
- उनके 10 हाथ होते हैं, वे शेर पर विराजमान होती है।
- ऐसा कहा जाता है कि महिषासुर नामक असुर राजा ने स्वर्ग में देवताओं पर आक्रमण कर दिया था।
- स्वर्ग के देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से बचाने के लिए शिव, विष्णु, ब्रम्हा के द्वारा एक ऐसी शक्ति का निर्माण किया गया जिसका नाम दुर्गा रखा गया।
- देवी दुर्गा को शक्तियां प्रदान की गयी थी जिससे वे महिषासुर का वध कर सके।
- पूरे दस दिनों तक चले उस युद्ध में माँ दुर्गा ने महिषासुर को दसवें दिन मार डाला था।
- 10वें दिन को दशहरा या विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
अब बात करे रामायण की तो- रामायण के अनुसार भगवान राम से रावण को मारने से पहले माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी।
दुर्गा पूजा के दसवें दिन भगवान राम ने रावण को मारा इसलिए इस दिन को हम विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं।
इस उत्सव को अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है।
आइए अब जानते हैं दुर्गा पूजा के बारे में
- यह एक दस दिवसीय उत्सव है इसमें हिंदू देवी दुर्गा की सामूहिक रूप से पूजा की जाती है।
- इस दौरान देवी की उत्कृष्ट व भव्य रुप से सजी हुई विशाल मूर्तियां क्या की जाती है।
- इन मूर्तियों को बड़े पैमाने पर स्थापित दुर्गा पंडाल या दुर्गा मां को में सजाया जाता है।
- असम, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, ओडिशा, और त्रिपुरा आदि भारतीय राज्यों व्यापक रूप से मनाया जाता है जहाँ इस समय पांच-दिन की वार्षिक छुट्टी रहती है।
- बंगाली हिन्दू और आसामी हिन्दुओं का बाहुल्य वाले क्षेत्रों पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा में यह वर्ष का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है।
- यह न केवल सबसे बड़ा हिन्दू उत्सव है बल्कि यह बंगाली हिन्दू समाज में सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से सबसे महत्त्वपूर्ण उत्सव भी है।
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