भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गांधी-

महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन(Quit India Movement) साम्राज्यवादी सत्ता को उखाड़ फेंकने हेतु प्रारंभ किया।

अगस्त प्रस्ताव और क्रिप्स मिशन के द्वारा दिए गए आश्वासनों से भारत का कोई भी वर्ग संतुष्ट ना था।

मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान से अपने ऐतिहासिक उद्बोधन में सभी भारतीयों से उपनिवेश शासन को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।

इस भाषण में उन्होंने “करो या मरो का नारा” दिया।

9 अगस्त 1942 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

अन्य सदस्य-

जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, अरूणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी, छोटू भाई पुराणिक, बीजू पटनायक आरपी गोयनका, यह सभी इस आंदोलन की गतिविधियों के राष्ट्रवादी नेता।

रास बिहारी बोस-

जून 1942 में इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का अध्यक्ष चुना गया वह एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी नेता थे।

चितु पांडे-

इन्होंने अगस्त 1942 में संयुक्त प्रांत के बलिया स्थान में सभी पुलिस थानों एवं सरकारी भवनों कब्जा कर लिया और समानांतर सरकार बनाई।

उषा मेहता-इन्होंने गुप्त रेडियो ट्रांसमीटर केंद्र की स्थापना की और आंदोलन का प्रचार किया।

जवाहरलाल नेहरू

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव पास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कैप्टन मोहन सिंह- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ने उन्हें इंडियन नेशनल आर्मी का कमांडर नियुक्त किया गया।

सुभाष चंद्र बोस-

1943 में इंडियन नेशनल आर्मी की सदस्यता ग्रहण की।

सुभाष चंद्र बोस ने “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा दिया।

इनके नेतृत्व में आई.एन.ए ने ब्रिटिश सत्ता को कड़ी चुनौती दी।

मातंगिनी हाजरा-

वे 73 वर्षीय वृद्ध कृषक विधवा थी। 29 सितंबर 1929 को सुताहत्ता पुलिस स्टेशन पर आक्रमण के समय इनकी हिंसा में इनकी मृत्यु हो गई।

लक्ष्मण नायक-

एक अशिक्षित ग्रामीण है जिन्होंने कोरापुट के जनजातीय तबके को जमीदारी के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए संगठित किया इनके नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने पर आक्रमण किया।

16 नवंबर 1942 एक वनरक्षक की हत्या के आरोप में  इन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया।

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1929 ई. में लाहौर में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन आयोजित हुआ।

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