मराठा साम्राज्य-2

मराठा साम्राज्य-2

मराठा साम्राज्य-2 का विस्तार में वर्णन

शिवाजी शाम्भा और राजा राम (पुत्र)

शाम्भा  जी (1680-1689)

रायगढ़ में राजधानी बनाई, उच्च अधिकारी कवी कलश थे।

औरंगजेब के विद्रोही पुत्र बहादुर शाह को शरण दी।

इसी कारण 1689 में शाम्भा जी को मृत्यु दी थी।

राजाराम (1689-1700)

मराठों की राजधानी सतारा थी और बाद में रायगढ़ बनी।

1689 में शाहु (शाम्भा का पुत्र) और पत्नी को बंदी बना कर ले गया।

इसी दौरान राजाराम(1689-1700) जी को मौका मिल जाता है अपने शासन को चलाने का लेकिन वह अपना साथ में सतारा से चलाते हैं।

परंतु वह मुगलों के खौफ के कारण ज्यादा साम्राज्य विस्तार नहीं कर पाते और 1700 में मृत्यु हो जाती है।

  • राजा राम की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ताराबाई का बेटा शिवाजी साम्राज्य चलाता है।
  • 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो जाती है और उसका बेटा साहू को आजाद कर देता है।
  • शाहु इसके बाद ताराबाई से फिर से खेड़ा में सत्ता हथ्या लेता है।
  • शाहु राजा के रूप में (1707-1749) उसी समय पेशवा थे। बालाजी विश्वनाथ प्रथम पेशवा थे। संगीला की संधि 1750 में हुई।
  • बालाजी विश्वनाथ को (1713-1720) द्वितीय संस्थापक भी कहते हैं।
  • 1719 में दिल्ली की संधि (मराठों का मेग्नाकार्ट जाता है)
  • बाजीराव प्रथम 1720-1740 (निजाम, गुजरात, मालवा, पुर्तगाल) आदि से संघर्ष करके मराठा का विस्तार किया। बुंदेलखंड के शासक छत्रसाल का बुलावा आता है और वही उनकी मुलाकात मस्तानी से हुई। 1740 में मृत्यु हो गई।
  • बालाजी बाजीराव को (1740-1761) नाना साहब के नाम से भी जाना जाता था।
  • सबसे अधिक मराठा साम्राज्य का विस्तार किया।
  • अलवर्दी खां को पराजित किया।

मराठा साम्राज्य-2

1761 में पानीपत का युद्ध हुआ और उसे पानीपत की तीसरी लड़ाई भी कहा जाता है। और बालाजी बाजीराव हार गए और इसी शौक में मृत्यु हो गई।

माधवराव (1761-1772)

  • पुनः मराठा शक्ति को बढ़ाया।
  • निजाम और मैसूर में हैदर अली को चौथ देने पर मजबूर किया। 1772 में मुगलबादशाह शाहआलम -2 ने अंग्रेजों के संरक्षण को छोड़कर मराठों के संरक्षण को अपनाया।
  • अंतिम पेशवा बाजीराव-2 1818 में।
  • प्रथम अंगल मराठा युद्ध (1775-1782)
  • द्वितीयअंगल मराठा युद्ध(1803-1805)
  • तृतीय मराठा युद्ध(1817-1818)

प्रथम अंगल मराठा युद्ध के दौरान

सूरत की संधि (1775)

पुरंदर की संधि (1776)

सालबाई की संधि (1782)

द्वितीय अंगल मराठा युद्ध के दौरान संधि

1) बसीन की संधि (1802)

2) देवगांव की संधि (1803)

तृतीय अंगल मराठा युद्ध के दौरान संधि

नागपुर की संधि (1816)

ग्वालियर की संधि (1817)

पुना की संधि (1817)

मंदसौर की संधि (1818)

मराठों के टूटने के बाद वह कई वंशो में विभाजित हुआ।

  • भांसले वंश-नागपुर
  • गायकबाड़- बड़ौदा (गुजरात)
  • होल्कर-इंदौर
  • सिधिया- उज्जैन बाद में ग्वालियर चले गए।

 

मराठा साम्राज्य-1

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *