Wind

The wind is the natural movement of air or other gases relative to a planet’s surface.

पवनें (Wind)

गतिशील वायु को पवन कहते हैं।

जब वायु ऊर्ध्वाधर रूप में गतिमान होती है उसे “वायुधारा” कहते है।

वायुदाब की प्रवणता और पवनें

जितना अधिक अंतर दो स्थानों के बीच के वायुदाब का होगा उतनी ही अधिक पवन की गति होगी।

कोरिओलिस बल

वायुदाब की प्रवणता के अनुसार पवनें समदाब रेखाओं को समकोण पर नहीं काटती है।

पृथ्वी की घूर्णन गति पवनें अपनी मूल दिशा से हट कर चलती है, अगर सरल भाषा में कहा जाये तो पवन अपनी दिशा में बदलाव करती है।

1844 ई. में इसका प्रतिपादन गैसपर्ड डी कोरिओलिस द्वारा किया गया था।

इसके अनुसार उत्तरी गोलार्द्ध में पवन बाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दायीं ओर मुड़ जाती है इस सिद्धांत को फेरेल ने सिद्ध किया था।

इसलिए  इसे “फेरेल नियम” भी कहते है।

कोरिओलिस बल विषुवत वृत्त पर नगण्य जबकि ध्रुवों की ओर जाने पर बढ़ता है।

types of Wind

पवनों के प्रकार 

पवनों के तीन रूप में विभजित किया गया है

(01) भूमंडलीय या स्थायी पवनें

(02) आवर्ती पवनें

(03) स्थानीय पवनें

(01) भूमंडलीय या स्थायी पवनें

  • जो पवनें वर्ष भर एक ही दिशा में चलती है, उन्हें भूमंडलीय या स्थायी पवनें कहते है।
  • यह महासागरों और महद्वीपो के बड़े भागो चलती है।
  • स्थायी पवनों को विभिन्न रूप में विभाजित किया गया है।

(i) पूर्वी पवनें 

  • इन पवनों को व्यापारिक पवनें भी कहते है।
  • यह पवनें उपोष्ण उच्च वायुदाब वाले क्षेत्रों से विषुवतीय निम्न वायुदाब वाले क्षेत्रों की ओर चलती है।
  • इन्हे “ट्रेड विंड” भी कहते है।
  • यह पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर-पूर्व दिशा से और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी-पूर्व दिशा से चलती है।
  • यह पवन उष्ण कटिबन्ध में पूर्व दिशा में चलती है, इसलिए इन्हे “उष्ण कटिबन्धीय पूर्वी” पवनें भी कहते है।

(ii) पश्चिमी या पछुआ पवनें 

यह पवनें उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी की ओर चलती है।

कोरिओलिस के प्रभाव से ये पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दायी ओर को मुड़ कर चलती है।

यही पवनें दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर मुड़ कर चलती है और यहाँ पर इनकी दिशा उत्तर-पश्चिमी होती है।

इन पवनों की चलने की मुख्य दिशा पश्चिम होती है।

(iii)ध्रुवीय पूर्वी पवनें

ये पवनें ध्रुवीय उच्च वायुदाब क्षेत्र से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर चलती है।

उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी दिशा उत्तर-पूर्व और दक्षिणी गोलार्द्ध में इनकी दिशा दक्षिण पूर्व होती है।

(02) आवर्ती पवनें

इन पवनों की दिशा ऋतु परिवर्तन के साथ बदलती रहती है।

आवर्ती पवनों में “मानसून पवनें” महत्वपूर्ण है।

मानसून पवनें

जो पवन ऋतुओं के परिवर्तन के साथ दिशा में बदलाव करती है उन्हें ही मानसून पवनें कहते है।

कर्क और मकर रेखाओं के नज़दीक मानसून की उतप्ति होती है।

गर्मियों के समय यह पवनें समुद्र से स्थल की ओर चलती है और ठण्ड के समय स्थल से समुद्र की ओर चलती है।

Wind
Monsoon Wind

Wind

स्थानीय पवनें 

ऐसी पवनें जो किसी विशेष स्थान पर चलती है, उन्हें “स्थानीय पवनें” कहते है

यह क्षोभ मंडल के निचले भागों में चलती है।

प्रमुख स्थानीय पवनें

(1) समुद्र समीर 

दैनिक कर्म में स्थल भाग और जल भाग के ठंडा और गर्म होने के कारण उच्च और निम्न वायुदाब बदलता रहता है।

स्थल भाग दिन के समय समुद्र की अपेक्षा अधिक और शीघ्र गर्म हो जाता है।

इसके गर्म होने से स्थल भाग की ऊपरी हवा फैलकर ऊपर उठने लगती है, जिससे स्थल भाग पर स्थानीय निम्न दाब विकसित हो जाता है।

और इसके विपरीत समुद्र की सतह पर उच्च वायुदाब होता है, और जैसा की आप जानते हो की वायु के नियम अनुसार वायु उच्च से निम्न दाब की ओर चलती है।

वायुदाब में अंतर होने के कारण समुद्र से स्थल की ओर वायु चलती है, इसे समुद्र समीर कहते है।

(2) स्थल समीर 

रात के समय स्थल भाग का तापमान जलीय भागो से कम होता, और तापमान कम होने कारण स्थल भाग शीघ्र ठंडा हो जाता है।

इस वजह से स्थल भाग पर उच्च दाब और समुद्री भाग पर निम्न वायुदाब विकसित होता है, इससे पवनें स्थल भाग से समुद्र की ओर चलने लगती है, ऐसी पवनों को “स्थल समीर” कहते है।

(3) घाटी समीर

दिन के समय पर्वतीय ढाल घाटी से ज्यादा गर्म होती तो इस समय पवनें घाटी से पर्वतीय ढाल की ओर चलती है, इसे घाटी समीर कहते है।

इसे एनाबेटिक समीर भी बोलते हैं।

(4) पर्वतीय समीर 

रात के समय पर्वतीय ढालो पर तापमान तेजी से नीचे गिरता है, जिससे यहां पर उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है, और पवनें पर्वतीय डालो से घाटी की ओर चलने लगती है, इसे पर्वतीय समीर कहते हैं

इसे केटाबेटिक समीर भी बोलते हैं।

Wind

(5) गर्म पवनें 

(a) लू

  • अति  गर्म तथा शुष्क पवनें है।
  • इन पवनों का तापमान 450 से. से 500 से. के बीच होता है।
  • यह मई और जून के महीने में भारत के उत्तरी मैदानों और पाकिस्तान में चलती है।

(b) फोहन 

  • शुष्क एवं गर्म होती हैं।
  • इन पवनों का तापमान 150 से. से 200 से. के बीच होता है।
  • अँगूर की फसल को पकने में सहायता करता है।
  • यह पवनें उत्तरी आल्पस, स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस, इटली, चलती है।

(c) चिनूक 

  • उष्ण और शुष्क होती है।
  • इसे हिम भक्षक भी कहा जाता है क्योंकि ये समय से पहले बर्फ को पिघला देती है।
  • यह सयुंक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के रॉकी पर्वतो की पूर्वी ढालो पर नीचे की ओर उतरती है।

(d) कोयमबैग

  • यह गर्म होती है और तबाकू की कहते के लिए हानिकारक होती है।
  • यह ज्यादातर जावा, इंडोनेशिया में चलती है।

(06) ठंडी पवनें 

शीत ऋतु में हिमाच्छादित पर्वतों से ठंडी हवा चलती है और ढाल के अनुरूप नीचे उतरती है।

इनमें से प्रमुख मिस्ट्रल पवनें है-

  • मिस्ट्रल पवनें: ठंडी और शुष्क होती हैं, यह फ्रांस मध्य यूरोप राइन नदी की घाटी में रहते हैं।

हरमट्टन

ये शुष्क, धूल भरी पवनें हैं जो पश्चिमी सहारा क्षेत्र में उत्तर-पूर्वी की ओर से बहती हैं।

हरमट्टन को इस क्षेत्र में डॉक्टर भी कहा जाता है, क्योंकि यह पश्चिम की आर्द्र उष्णकटिबंधीय पवनों से राहत देती है। यह पश्चिमी की नम हवा से राहत प्रदान करती है।

यह फसलों के लिये हानिकारक है।

ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में इसे “ब्रिकफील्डर” भी कहा जाता है।

Wind IN English

 

 

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