Temples in Kangra
कांगड़ा के मंदिर-
(1) ज्वालामुखी मंदिर-
- काँगड़ा के कटोच वंश के राजा भूमि चंद ने बनाया था।
- 1365 ई.में – फिरोज शाह तुगलक ने इस मंदिर से संस्कृत की 300 पुस्तके को अपने अधिकार में ले लिया था,और उनका अपने दरगाह के कवि अलाउद्दीन खिलजी खानी से “दलाई-ए- फिरोजशाही” शीर्षक से फारसी में अनुवाद करवाया।
- 1813 ई.में – महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर के स्वर्णिम गुम्बंद का निर्माण करवाया।
(2) ब्रजेश्वरी मंदिर-
- कांगड़ा में स्थित है।
- 1009 ईस्वी में महमूद गजनवी ने तोडा था और 1540 ईसवी में खवास खान ने लूटा था।
- यह 1905 के भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था,मंदिर के वर्तमान स्वरूप को देशा सिंह मजीठिया सिख शैली मैं बनवाया था।
(3) बैजनाथ मंदिर-
- मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, बैजनाथ को पहले कीरग्राम के नाम से जाना जाता था।
- 1240 ईस्वी में- इसका निर्माण मयूक और आहुक नामक व्यापारियों ने करवाया था।
- यह भारत का सबसे पुराना प्राचीनतम शिव मंदिर है, जो 13 वीं शताब्दी में बना था,और 19वीं शताब्दी में राजा संसार चंद ने इसका पुनरुद्धार करवाया था।
(4) भागसूनाथ मंदिर –
- यह मंदिर काँगड़ा के मैक्लोडगंज में स्थित है, इसका निर्माण राजा धर्मचंद ने करवाया था।
(5) बृजराज बिहारी मंदिर-
- यह मंदिर नूरपुर में स्थित है, इसका निर्माण राजा बासु ने करवाया था।
(6) लक्ष्मी नारायण मंदिर-
- इस मंदिर का निर्माण राजा संसार चंद ने करवाया था, यह मंदिर आलमपुर में स्थित है।
- नगरोटा सुरियाँ में स्थित है, यह मंदिर नागर शैली में बना है,यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- जिसे कश्मीर के राजा ललितादित्य ने आठवीं शताब्दी में बनाया था, इसे हिमाचल का “अजंता” कहा जाता है।
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