Revolutionary Nationalist Movement क्रांतिकारियों को संगठित करने के लिए प्रारंभिक कदम अरबिंदो घोष, उनके भाई बारिन घोष, भूपेंद्रनाथ दत्ता, लाल बाल पाल और सुबोध चंद्र मलिक ने उठाए, जब उन्होंने अप्रैल 1906 में जुगान्तर पार्टी का गठन किया।
क्रन्तिकारी राष्ट्रवादी आंदोलन
1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेसी दो दल बन गए गरम दल और नरम दल
बाल गंगाधर तिलक तथा उनके साथियों को गरम दल का नाम दिया गया और गोखले के अनुयायियों को नरम दल कहा जाने लगा
गरम दल के समर्थकों में से बाद में कुछ नेता क्रांतिकारी बन गए
इन्होंने देश में आतंक का वातावरण उत्पन्न कर दिया
पुणे के कलेक्टर तथा प्लेग कमिश्नर वाल्टर चार्ल्स रैण्ड को चापेकर बंधुओं ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी
इसके अतिरिक्त भी अन्य कई अधिकारियों की हत्या की गई
सरकार ने क्रांतिकारियों के दमन के लिए कठोर नीति अपनाई
कई क्रांतिकारी नेताओं को फांसी पर चढ़ा दिया गया
Revolutionary Nationalist Movement
1908 में खुदीराम बोस ने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले।
11 अगस्त 1908 को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में फाँसी दे दी गयी। उनकी उम्र उस समय मात्र 18 साल 8 महीने थी
बाल गंगाधर तिलक को 15 महीने के लिए जेल में डाल दिया गया
लाला लाजपत राय और सरदार अजीत सिंह को देश से निर्वासित कर दिया गया
उन्होंने विदेशों में गदर पार्टी की नींव रखी
अक्टूबर 1924 में चंद्रशेखर आजाद ने “हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन” की कानपुर में स्थापना की
इसके मुख्य कार्यकर्ता रामप्रसाद बिस्मिल, सचिंद्र नाथ सान्याल, अशफाक उल्ला खाँ, रोशन सिंह थे
9 अगस्त 1925 को इस संस्था ने लखनऊ के निकट काकोरी में सरकारी खजाने की रेलगाड़ी को लूटा
काकोरी कांड के आरोप में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, रोशन लाल, तथा राजेंद्र लाहिड़ी, को फांसी दी गई
अशफाक उल्ला खाँ स्वतंत्रता संग्राम में फांसी पर लटकने वाले पहले मुसलमान थे
1928 ई, में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना चंद्रशेखर आजाद तथा भगत सिंह के नेतृत्व में दिल्ली में की गई
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय असेंबली में बम फेंका
27 फरवरी 1931 को चंद्र शेखर आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में एक पुलिस मुठभेड़ में शहीद हो गए
लाहौर में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई
क्रांतिकारियों द्वारा लिखी गई पुस्तकें-
“बन्दी जीवन”- सचिंद्र नाथ सान्याल
“मैं नास्तिक क्यों हूं” – भगत सिंह