वैश्विक तापन/जलवायु परिवर्तन
वैश्विक तापन/जलवायु परिवर्तन
तात्पर्य-सामान्य अर्थों में ग्लोबल वार्मिंग से तात्पर्य पृथ्वी का औसत तापमान में वृद्धि है।
पृथ्वी का औसत तापमान 140C
जोसेफ फोरियर ने 1824 में पहली बार ग्रीनहाउस गैसेस के बारे में उल्लेख करा,और ग्रीन हाउस इफेक्ट की चर्चा की।
Green House Effect(हरित गृह प्रभाव):
यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें ग्रीनहाउस गैस के द्वारा इंफ्रारेड जो पृथ्वी पर आते हैं उनका अवशोषण होता है और वायुमंडल का तापमान बढ़ जाता है।
ग्रीन हाउस इफेक्ट के लिए जिम्मेवार गैसेस इस प्रकार है, CO2 ,CH4 ,CPC, O3, N2O.
और कारण:- जैसे की प्रदूषण, वनों की कटाई, उद्योग इत्यादि।
विश्व के प्रमुख देश जो ग्लोबल वार्मिंग इफेक्ट के लिए जिम्मेदार है:-
- चीन 30% (मात्रा की दृष्टि से प्रथम स्थान)।
- यूएसए 15% (प्रति व्यक्ति की दृष्टि से प्रथम स्थान)।
- भारत 7%
- यूरोपीय संघ 9%
पृथ्वी पर प्रभाव: औसत तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर का पिघलना, समुद्र तल में वृद्धि, जैव विविधता।
मानव पर प्रभाव: रोग, भुखमरी, कृषि, बाढ़-सूखा, आवास।
वैश्विक तापन/जलवायु परिवर्तन
उपाय:
1972 स्टॉकहोम (स्वीडन) सम्मेलन पर्यावरण संरक्षण के लिए किया गया था।
1992 में रियो(ब्राजील) सम्मेलन जिसे पृथ्वी सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता है।
1997 में क्योटो प्रोटोकोल(जापान) (कार्बन क्रेडिट की अवधारणा) इसमें कार्बन बचाने वाले देशों को कार्बन बेचने की छूट दी गई।
2015 में पेरिस समझौता COP-21 हुआ औद्योगिक क्रांति से पहले का जो तापमान था,उसे 20C से ज्यादा तापमान बढ़ने नहीं देना।
2018 में पोलैंड के काटोवाइस में हुआ।
अन्य उपाय इस प्रकार होनी चाहिए।
- वैश्विक स्तर पर।
- देश के स्तर पर।
- स्वयं के स्तर पर यानी कि मानव के स्तर पर।
Earth Overeshoot Day: वह दिन जिस दिन पूरे वर्ष का संसाधन उपयोग कर लिया जाता है।
Earth Hour: प्रतिवर्ष मार्च महीने के अंतिम शनिवार को WWF द्वारा जलवायु परिवर्तन के संबंध में जागरूकता के उद्देश्य से 8:30 से 9:30 के समय के बीच में बिजली बंद करना।
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