भारत में डचों का आगमन
Arrival of Dutch in India
डच नीदरलैंड (हॉलैंड) के निवासी थे।
डच सबसे पहले भारत में 1595 में ‘सुमात्रा’ में पहुंचे।
‘कॉर्नेलिस डी हाटमेन’ पहला डच था, जो 1596 में सुमात्रा और बंताम पहुंचा।
मार्च 1602 ई. में डच संसद द्वारा पारित उद्घोषणा से डच सयुंक्त कंपनी की स्थापना हुई, जिसका नाम था “यूनाइटेड डच ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ नीदरलैंड”
इनका प्रमुख केंद्र ‘इंडोनेशिया’ था।
1605 ई. में डच सेनानायक ‘वादेगेह’ ने ‘मसूलीपट्टनम’ (कोरोमंडल) में प्रथम फैक्ट्री स्थापित की गई।
दूसरे केंद्र की स्थापना ‘पेत्तोपल्ली’ (निज़ामपट्नम) में की गई।
1605 ई. में डचों ने इंडोनेशिया के क्षेत्र ‘अम्बोयना‘ को जीत लिया, और मसालापुंज पर अधिकार कर लिया।
1619 ई. में ‘बेटाबिया’ (जकार्ता) नगर बसाया था (डचों ने 1605 ई. में अम्बोयना, 1619 में मसाला द्वीप, तथा 1658 ई. में श्रीलंका जीत लिया था 1648 ई. में ‘मलक्का’ में भी डचों की पुर्तगालियों पर विजय हुई थी।)
Arrival of Dutch in India
1623 ई. में ‘अम्बोयना’ में डचों ने जापानियों एवं अंग्रेजों की हत्या कर दी, जिसके पश्चात अंग्रेजों ने डचों को सीमित करना शुरू कर दिया।
1632 ई. में हुगली-क्षेत्र से पुर्तगालियों को डचों ने हटाया।
1650 के दशक में डच कंपनी ने ‘कासिम’ बाजार में स्वयं ‘रेशम की चकरी’ का उद्योग स्थापित किया था।
1656 डचों ने ‘सीलोन’ को जीत लिया।
1658 ई. में श्रीलंका से डचों ने पुर्तगालियों को हटाया।
1659 ई. में तंजौर तट पर स्थित ‘नेगापट्टम’ डचों ने पुर्तगालियों से जीता।
1671 ई. में मालाबार स्थित किले को भी डचों ने जीत लिया।
17वी शताब्दी के उत्तरार्ध में 3 ‘आंगल-डच-युद्ध’ यूरोप में लड़े गए जिनमें अंग्रेजों की विजय हुई।
1717 ई. में अंग्रेजों को मुगल व्यापारिक फरमान मिलने पर डच शक्ति पिछड़ने लगी।
1759 में ‘वेदरा’ नामक स्थान पर डच और अंग्रेजो के बीच युद्ध हुआ जिसमें डच बुरी तरह से पराजित रहे।
तीसरे एंग्लो-डच युद्ध (1672-74) में सूरत और मुंबई की अंग्रेजों की नई बस्ती के बीच संचार निरंतर ध्वस्त होने लगे, दो-तीन अंग्रेजी जहाजों पर बंगाल की खाड़ी में कब्जा कर लिया।
पुलिकट स्थित ‘टकसाल’ से भगवान विष्णु (भगवान वेंकटेश्वर) के चित्र वाले सोने के पैगोडा सिक्के जारी किए गए थे।
डेनमार्क (डेनिश) (1616)
डेनमार्क की व्यापारिक कंपनी का गठन 1616 ई. में हुआ था इस कंपनी ने त्रैंकोबार (तमिलनाडु) तथा सेरामपुर (बंगाल) में अपनी फैक्ट्रियां स्थापित की।
पहला कारखाना (तंजौर)।
1868 ई. में डेनिश कंपनी ने निकोबार द्वीप पर अपने अधिकार अंग्रेजों को बेच दिए तथा भारतीय क्षेत्र से उनका नियंत्रण समाप्त हो गया।
स्वीडिश (1731)
फ्रेंच(फ्रांसीसी) (1664)
लुई 14वें के समय में 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई।
1674 ई. में फ्रांसीसी मार्टिन ने ‘पांडिचेरी‘ की स्थापना की।
1732 ई. में ‘डूप्ले’ भारत में फ्रेंच गवर्नर बना।
- प्रथम कर्नाटक युद्ध 1749-48 ई. में हुआ अंग्रेजों व ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित था ‘आक्सा-ला-शैपेल‘ नामक संधि के संपन्न होते ही भारत में भी युद्ध समाप्त हो गया (अंग्रेज़ बनाम फ्रांस को कर्नाटक युद्ध के रूप में जाना जाता है।)
- दूसरा कर्नाटक युद्ध 1749-54 ई. में हुआ इस युद्ध में फ्रांसीसी गवर्नर ‘डूप्ले‘ की हार हुई, पांडिचेरी संधि से युद्धविराम हुआ।
- कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756-1763 ई. के बीच हुआ ‘पेरिस’ की संधि होने पर यह युद्ध समाप्त हुआ।
भारत में फ्रांसीसियों के पतन की शुरुआत
22 जनवरी, 1760 को लड़े गए वांडीवाश के युद्ध में अंग्रेजी सेना को आयरकूट ने तथा फ्रांसीसी सेना को लाली ने नेतृत्व प्रदान किया इस युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए।
1762 ईस्वी में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसियों से छीन लिया यद्यपि 1763 ई. में पांडिचेरी तथा कुछ अन्य फ्रांसीसी प्रदेश उन्हें वापस लौटा दिए गए परंतु उन्हें किलेबंदी का अधिकार नहीं दिया गया।
फ्रांसीसियों के कारखानों की स्थापना
- पहला कारखाना सूरत में (1668)
- मसूलीपट्टनम (1669)
भारत-में-यूरोपियों-का-आगम (Arrivals of European in India)