Battle of Buxar was fought on 22 October 1764 around Buxar Nagar between Hector Munro of the East India Company and the armies of the Mughals and the Nawabs.
बक्सर का युद्ध और इलाहाबाद की संधि (1765)
मीर कासिम ने अबध आकर वहां के नवाब शुजाउद्दौला और शरणार्थी मुग़ल शहंशाह शाह आलम द्वितीय के साथ मिलकर एक संघ बनाया
22 अक्टूबर अक्टूबर 1764 में बक्सर नगर के आसपास ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो और मुगल तथा नवाबों की सेनाओं के बीच लड़ा गया था।
मीर कासिम का संघ इस युद्ध में पराजित हुआ।
1765 ई. में युद्ध के बाद क्लाइव दूसरी बार बंगाल का गवर्नर बना।
Battle of Buxar
उसने बक्सर युद्ध के बाद कुछ समझौते तैयार किये, मुग़ल शहंशाह से बंगाल बिहार व उड़ीसा की दीवानी प्राप्त कर ली।
फरवरी 1765 में मीर जफ़र की मृत्यु हो गयी और उसके बेटे को नवाब की गद्दी पर बैठाया गया और उसके साथ संधि कर ली।
बंगाल में एक नायब सूबेदार का प्राबधान किया गया, जिसकी न्युक्ति कंपनी द्वारा की जानी थी।
मोहम्द रजा खां पहला और अंतिम नायब सूबेदार बना।
इलाहाबाद की संधि (1765)
1765 ई. में दो संधियां हुई – एक मुग़ल शासक शाह आलम द्वितीय के साथ और दूसरी अवध के नवाब के साथ -इलाहाबाद में की।
शाह आलम द्वितीय के साथ संधि
- शाह आलम द्वितीय कंपनी के संरक्षण में आ गया।
- इलाहाबाद और कारा, नवाब द्वारा दिए हुए, मुग़ल शासक को सौंप दिए गए।
- बादशाह द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार, और उड़ीसा की दीवानी प्रदान की गयी, इसके लिए कंपनी द्वारा बादशाह को वार्षिक 26 लाख रूपए का भुगतान करना निर्धारित किया गया।
- अंग्रेजो की दीवानी के अधिकार और बंगाल के राजस्व या वित्तीय प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान किये गए।
- मुगल शासक इन प्रांतों में प्रशासनिक कार्यों को पूरा करने ले लिए कंपनी को 53 लाख रूपए देने पर सहमत हुआ।
- सुरक्षा, कानून एवं व्यवस्था और न्याय के प्रशासन का उत्तरदायित्व नवाबों के हाथों में था।
अवध के साथ संधि
नवाब और अंग्रेजों के बीच हुई संधि के अंतर्गत-
- इलाहबाद एवं कोरा, शाह आलम द्वितीय को देने पड़ने थे।
- कंपनी को 50 लाख रूपए युद्ध क्षति के रूप में देने पड़ने थे।
- बलवंत सिंह को उसकी एस्टेट(बनारस ) का पूर्ण अधिकार देने, और जरुरत के समय कंपनी को सैन्य सहायता देने पर सहमत हुए।