Bilaspur
Bilaspur
01 जुलाई 1954, जिले का गठन किया गया
मुख्यालय: बिलासपुर (समुद्र तल से ऊंचाई-610मीटर)
कुल क्षेत्रफल: 1167 वर्ग किलोमीटर,साक्षरता दर- 85.87%(2011)
भाषाएं: बिलासपुरी केहलूरी हिंदी पंजाबी इत्यादि।
पड़ोसी जिले: (1) उत्तर में मंडी जिला (2) पश्चिम में हमीरपुर व ऊना जिला (3) दक्षिण में सोलन के नालागढ़ क्षेत्र (4) पूर्व में मंडी जिला (5) दक्षिण पूर्व पश्चिम में सोलन जिला
Bilaspur की घाटियां:
(1) सतलुज घाटी (2) चौंतो घाटी (3) दानवीं घाटी
पहाड़ियां/धार
- बिलासपुर को सतधार कहलूर भी कहा गया है क्यूंकि यहाँ सात पहाड़ियां है।
- नैनादेवी पहाड़ी: इस पहाड़ी पर नैनादेवी जी का मंदिर है कोट कहलूर किला और फतेहपुर किला इसी पहाड़ी पर है।
- कोट पहाड़ी/ धार : कोटधार मे बछरेटू किला है।
- झंझियार धार: सीर खड़ इसे 2 भागों मे बांटती है यहाँ पर गुग्गा गेहड़वीं और देवी भड़ोली का मंदिर है।
- तियूंन धार: तियूंन किला,पीर बियानु का मंदिर,सरयूण किला, नौरंगगढ़ किला, इस पहाड़ी पर स्थित है।
- बांदला धार: यह धार 17 किलोमीटर लंबी है।
- रतनपुर पहाड़ी/धार: बहादरपुर किला 1980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बिलासपुर का सबसे ऊंचा स्थान है बहादुर किला राजा विजाई चंद का ग्रीष्मकालीन आवास था।
नदियां:
- सतलुज: नदी “कसोल” से बिलासपुर में प्रवेश करती है और “नैला” गांव (भाखड़ा) से बिलासपुर को छोड़ पंजाब में प्रवेश करती है।
- सीर खड़्ड : सतलुज नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- गम्भर खड़्ड: शिमला जिले से निकलकर “नेरी” गांव से बिलासपुर में प्रवेश करती है।
- अली खड़्ड: सोलन से अर्की से निकलकर “कोठी हरार” से बिलासपुर में प्रवेश करती है।
जलप्रपात/ चश्मा : बस्सी और लुंड
झील: बिलासपुर में गोविंद सागर झील है जोकि हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है।
इस झील का क्षेत्रफल168 वर्ग किलोमीटर है भाखड़ा बांध इसी नदी पर बनाया गया है बांध की ऊंचाई 225 मीटर है यह बांध 1963 में बनकर तैयार हुआ था।
1955 में पंडित नेहरू ने रखी थी झील से बिलासपुर जिले के 256 गांव जलमग्न हो गए थे।
Bilaspur
इतिहास:
- कहलूर रियासत की स्थापना: कहलूर रियासत की स्थापना वीरचंद ने 697 ईसवी में रखी डॉक्टर हचिसन एंडवॉगल की पुस्तक “हिस्ट्री ऑफ़ पंजाब स्टेट” के अनुसार वीरचंद 900 ईसवी में कहलूर रियासत की स्थापना की थी।
- वीर चंद ने नैना गुज्जर के आग्रह पर “नैना देवी मंदिर की स्थापना” कर उसके नीचे अपनी राजधानी बनाई पौराणिक कथाओं के अनुसार नैना देवी में सती के नैन(आंखें) गिरे थे।
- कहाल चंद: कहालचंद के पुत्र अजय चंद ने हण्डूर रियासत (नालागढ़) की स्थापना की।
- मेघचन्द: मेघचंद को उसके कठोर बर्ताव के कारण जनता ने राज्य छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया मेघचंद ने कुल्लू रियासत में शरण ली और इल्तुतमिश की सहायता से पुनः गद्दी प्राप्त की।
- अभिसंद चंद: सिकंदर लोदी का समकालीन था उसने तातार खान को युद्ध में हराया था।
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संपूर्ण चंद: संपूर्ण चंद को उसके भाई रतन चंद ने मरवा दिया था।
- ज्ञानचंद: ज्ञानचंद के शासनकाल में कहलूर रियासत मुगलों के अधीन आ गई ज्ञानचंद अकबर का समकालीन राजा था।
- ज्ञानचंद(1570: ज्ञानचंद ने सरहिंद के मुगल वायसराय के प्रभाव में आकर इस्लाम धर्म अपना लिया था।
- बीकचन्द(1600): बीकचन्द ज्ञान चंद का पुत्र था बीकचन्द ने 1600 ईसवी के आसपास नैना देवी/ कोटकहलूर से अपनी राजधानी बदलकर सुन्हाणी कर ली।
- कल्याण चंद: ने फंडूर रियासत की सीमा पर एक किले का निर्माण करवाया जिसके कारण दोनों रियासतों के बीच युद्ध हुआ जिसमें हण्डूर के राजा की मृत्यु हो गई।
- दीपचंद(1650-1667): दीपचंद ने 1654 ईसवी में अपनी राजधानी सुन्हाणी से बदलकर व्यास गुफा के पास ब्यासपुर(बिलासपुर) में स्थानांतरित की।
- बिलासपुर शहर की स्थापना 1654 ईसवी में दीपचंद चंदेल ने की दीपचंद ने धौलरा महल का निर्माण करवाया।
- दीपचंद ने “राजा को जय देवा”, “राणा को राम-राम” और “मियां को जय-जय” जैसे अभिवादन प्रथा शुरू करवाई।
- राजा दीपचंद को “नादौन” में 1687 ईस्वी में कांगड़ा के राजा ने भोजन में ज़हर देकर मरवा दिया।
- भीम चंद(1667-1712): बिलासपुर (कहलूर) के राजा भीमचंद लगभग 20 वर्षों तक गुरु गोविंद सिंह के साथ परस्पर युद्ध में व्यस्त रहें गुरु गोविंद सिंह 1682 ईस्वी में कहलूर की यात्रा की।
- गुरु गोविंद सिंह और भीम चंद ने 1667 ईस्वी में “नादौन” में मुगलों की सेना को पराजित किया था।
- भीम चंद की 1712 ईसवी में मृत्यु हो गई थी।
- अजमेर चंद(1712-41): अजमेर चंद ने हण्डूर की सीमा पर “अजमेरगढ़” किला बनवाया।
- देवीचंद(1741-78): देवी चंद हण्डूर रियासत के राजा मानचंद और उसके पुत्र की मृत्यु के बाद जनता के आग्रह पर स्वयं गद्दी पर ना बैठ कर गजे सिंह हण्डूररिया को राजा बनाया।
- देवी चंद ने हण्डूर के राजा विजय सिंह को रामगढ़ दुर्ग दे दिया था।
- महानचंद(1778-1824): बिलासपुर पर सबसे लंबी अवधि तक (14बर्षो) महान चंद ने शासन किया।
- “संसार चंद” ने 1795 ईस्वी में बिलासपुर पर आक्रमण किया जिसमें सिरमौर के राजा “धर्म प्रकाश” की मृत्यु हो गई।
- संसार चंद ने बिलासपुर के “झांजियार” पर “छात्तीपुर” किले का निर्माण करवाया।
- खड़क चंद(1824-1839): खड़क चंद के शासनकाल को बिलासपुर रियासत के इतिहास में काला युग के नाम से जाना जाता है।
- हीराचंद(1857-1882): 1857 ईस्वी के विद्रोह में अंग्रेजों की सहायता की हीराचंद के शासनकाल को बिलासपुर रियासत के इतिहास में स्वर्ण काल के नाम से जाना जाता है।
- अमरचंद(1883-1888): अमरचंद के शासनकाल में बिलासपुर के “गेहड़वी” में जुग्गा आंदोलन हुआ।
- विजय चंद(1888-1928): विजय चंद ने बिलासपुर में रंग महल का निर्माण करवाया।
- आनंद चंद(1928-1948): अनंत चंद महात्मा गांधी के शिष्य थे आनंद चांद बिलासपुर रियासत के अंतिम शासक थे। बिलासपुर को 9 अक्टूबर,1948 को “ग” श्रेणी का राज्य और 12 अक्टूबर 1948 को अनंत चंद को बिलासपुर का पहला मुख्य आयुक्त बनाया गया
- मंदिर: मंदिर बिलासपुर के शाहतलाई में बाबा बालक नाथ मंदिर है गुग्गा भटेड़ में गुग्गा मंदिर स्थित है।
- बिलासपुर में गोपाल मंदिर, मुरली मनोहर मंदिर और रंगनाथ मंदिर स्थित है।
- धौलरा में नारसिंह मंदिर है पीर पियानो में लखदाता मंदिर है नैना देवी मंदिर नैना देवी में स्थित है।
- मेला: नलवाड़ी मेला 1889 ईस्वी में डब्ल्यू गोल्डस्टीन ने शुरू करवाया था यह मेला पशुओं का मेला है जो अप्रैल माह में लगता है।
- नलवाड़ी मेला पहले साढू मैदान में लगता था पर भाखड़ा बांध बनने के बाद यह लूनी मैदान में लगने लगा।
मुरली मनोहर का लोकगीत “साढू रे मदाना च झीला रा पानी हुण से नलवाड़ी असे किती लगाणी, झुली जायां दिलजुआ ओ”