जिला काँगड़ा -(kangra) भाग 2
district kangra
(1)1337 ई .में- मोहम्मद बिन तुगलक का कांगड़ा पर आक्रमण का इस समय पृथ्वी चंद्र थे।
(2) 1360 ई .में- कांगड़ा का राजा रूपचंद था।
(3)1365 ई.में- ज्वालामुखी मंदिर के धन को प्राप्त करने की लालसा से फिरोज शाह तुगलक ने कांगड़ा पर आक्रमण कर दिया लड़ाई 6 महीने तक चली-
- फिरोज शाह तुगलक लगभग 1300 संस्कृत के ग्रंथों को अपने साथ ले गया तथा उसमें से कुछ का फारसी में अनुवाद भी करवाया।
- इन पुस्तकों का अनुवाद इज़्ज़ुद्दीन खालिद खानी ने किया और उन्हें “दलील-ए-फिरोजशाही” कह कर पुकारा।
- इस समय कांगड़ा का राजा रूपचंद था।
- 1562 ई. के आसपास मानिकचंद द्वारा लिखा गए “धर्म नाटक” में रूपचंद का नाम मिला है।
(4) 1375ई.में- रूपचंद का पुत्र सागर चंद राजा बना।
(5)1389 ई.में- नसीरुद्दीन शाह ने राजा सागरचंद के किले में शरण ली थी।
(6) 1390 ई.में- नसीरुद्दीन शाह को वापिस दिल्ली बुलाया गया और फिर से उसे सुल्तान बनाया गया।
(7) 1390 ई.में- कांगड़ा (kangra) का राजा मेघचंद बना-
- तैमूर लंग का भारत पर आक्रमण(1398 ई.में)-
- 1जनवरी 1399ई.- 15 दिन तक दिल्ली में रहने के बाद उसने वहां से प्रस्थान किया और मेरठ हरिद्वार तथा सिरमोर की निकली पहाड़ियों से होता हुआ वह वापस लौट आया।
- तैमूर ने अपने ग्रंथ “मालफुजत-ए-तिमूरी” में नगरकोट का वर्णन करते हुए लिखा कि-
- शिवालिक की घाटी में जब पहुंचा तो मुझे नगरकोट के संबंध में खबर दी गई, जो हिंदुस्तान का एक बड़ा प्रसिद्ध नगर है, तथा पहाड़ों में है।
- नगरकोट की दूरी 30 कोस थी पर रास्ता बनो तथा पहाड़ों से होकर जाता था। इन पहाड़ों में बसने बाले हर एक राजा के पास काफी सैनिक थे।
- अभी मुझे इन बातों का पता लगा मेरा ह्रदय विधर्मी हिंदुओं से लड़ने को और इस इलाके पर विजय प्राप्त करने के लिए उत्तेजित हो उठा।
- तैमूरलंग नगरकोट तक नहीं पहुंच पाया क्योंकि उसकी पुस्तक में इस नगर का कोई उल्लेख नहीं है संभव है कि कठिन वह भौगोलिक स्थिति से वह घबरा गया हो।
- 1399 में -लौटते समय तैमूर लंग ने धमेरी (नूरपुर) को लूटा।
- हुंडूर के राजा आलमचंद ने तैमूर लांग की सहायता की।
(8)1405 ई.में- कांगड़ा रियासत दो भागों में बंट गई,करमचंद कांगड़ा के राजा बने।
- और उनके बड़े भाई ने हरिचंद ने हरिपुर में किला वह राजधानी बनाकर गुलेर राज्य की स्थापना की।
(9) 1430 ई.में- राजा करमचंद का पुत्र संसार चंद प्रथम कांगड़ा का राजा बना।
(10) 1528 से 1563 ई.- इस समय कांगड़ा का राजा धर्म चंद था।
- 1540 ई.में- शेरशाह सूरी का दिल्ली पर अधिकार।
- उसने अपनी सेना के अध्यक्ष खवास खान को कांगड़ा पर आक्रमण करने के लिए भेजा,
उसने किले पर अधिकार कर लिया और मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ डाला।
- 14 फरवरी 1566- कलानौर में 14 वर्ष की आयु में अकबर को गद्दी पर बिठाया गया।
- धर्म चंद, मानिकचंद(1563-70 ई) जयचंद (1570-85 ई.) विधीचंद(1585-1605 ई.) अकबर के समकालीन राजा थे।
- 1572 ई.में- “तबकात-ए-अकबरी” के अनुसार खानाजहां ने कांगड़ा किले पर कब्जा कर लिया।
- परंतु हुसैन मिर्जा और मसूद मिर्जा के पंजाब आक्रमण की वजह से उसे कब्जा छोड़ना पड़ा।
“तबकात-ए-अकबरी” के अनुसार-
- किले के अंदर एक महामाई की मूर्ति स्थापित थी। इस मंदिर में ही कहीं ब्राह्मण और राजपूतों का कत्ल किया गया था।
- संघर्ष के दौरान कुछ असभ्य तुर्को ने हिंदुओं की लगभग 240 गायें , एक-एक कत्ल कर दी थी उसके बाद अपने जूतों में गायों का फूल भरकर मंदिर की दीवारों तथा छत पर छिडका।
- इसी काली करतूत के उपरांत अकबर ने अपने महान मंत्री टोडरमल पहाड़ी आ जाओ रियासतों को हड़पने तथा साहिल संप्रभुता स्थापित करने हेतु नियुक्त किया।
(11) 1585 ई.में- kangra का राजा विधि चंद गद्दी पर बैठा-
- 1588-89 ई.में- विधि चंद ने पहाड़ी राजाओं को संगठित करके अकबर के खिलाफ बगावत शुरू कर दी।
- 1594-95 ई.में- पहाड़ी राजाओं ने एक बार फिर से विद्रोह शुरू कर दिया इस बार विद्रोह का नेतृत्व जसरोटा के राजा ने किया।
(12) त्रिलोकचंद(1605 ई-1612ई.) और हरिचंद-II(1612-27 ई.) जहांगीर के समकालीन राजा थे-
- हरिचंद-II के समय नूरपुर के राजा सूरजमल ने विद्रोह कर चंबा में शरण ली।
- 1620 ई. – नवाब अली खान का सूरजमल के छोटे भाई जगत सिंह और राय रेयन विक्रमजीत की मदद से कांगड़ा जिला किले पर कब्जा।
- नवाब अली खान कांगड़ा किले का पहला मुगल किलेदार था।
- 1622 ई.में- जहांगीर अपनी पत्नी नूरजहां के साथ सिब्बा गुलेर होते हुए कांगड़ा आए, उन्होंने कांगड़ा किले में मस्जिद बनाई किले
(13) कल्याण चंद के वंश में कोई पांचवी छठी पुश्त राजकुमार मियां चंद्रभान चंद्र(1627-1660ई.) ने मुगलों के विरुद्ध युद्ध अभियान जारी रखा
- महाराणा प्रताप की भांति वह भी बन बन घटता रहा पर उसने हिम्मत नहीं हारी और डटकर लडता रहा
- 1660 ईसवी में चंद्रभान सिंह को औरंगजेब ने गिरफ्तार किया
- पकड़े जाने से पूर्व एक बार वह धौलाधार श्रंखला में 9000 फुट की ऊंचाई तक जाकर झड़ गया शाम को “चंद्रभान का टिल्ला” कहा जाता है
(14) 1660-1697 ई. – कांगड़ा का राजा विजय रामचंद था
- उसने बीजापुर शहर की नींव रखी,और उसे राजधानी बनाया
(15) 1697 ई.में- राजा आलमचंद ने सुजानपुर के पास आलमपुर शहर की नीव रखी
(16) 1700 ई.में- आलमचंद का पुत्र हमीर चंद गद्दी पर बैठा और 47 वर्ष तक राज किया
- हमीर चंद में हमीरपुर में किला बनाकर हमीरपुर शहर की नींव रखी
- औरंगजेब के समय कांगड़ा किले की देखरेख वह सरदारी पहले सैयद हुसैन खान हसन अब्दुल्ला खान तथा खलीलुल्ला खान के अधीन रही
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हमीर चंद के समय सैफ अली खान(1740) kangra किले का आखिरी मुगल किलेदार था
(17)राजधानी- बीजापुर(1660-1697 ई.में) आलमपुर(1697-98 ई.में) सुजानपुर(1761-1824 ई.में) रही