Swarajya Party main leader C.R.Das, and Motilal Nehru.
स्वराज्य पार्टी (Swarajya Party)
1922 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, श्री चितरंजन दास ने इसका नेतृत्व किया।
उन्हीने अधिवेशन में यह योजना रखी की कांग्रेस को परिषदों के चुनाव में भाग लेना चाहिए और सरकार का विरोध करना चाहिए।
लेकिन गांधीजी और उनके साथियों के विरोध के कारण यह योजना रद्द कर दी गयी।
श्री चितरंजन दास ने कांग्रेस से त्याग पत्र दे दिया।
उन्होंने परिषदों के चुनावों में भाग लेने के लिए एक पृथक दल की स्थापना की।
उन्होंने अपनी पार्टी का नाम स्वराज्य पार्टी रखा।
प. मोती लाल नेहरू ने भी उनकी पार्टी के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सितम्बर 1923 में दिल्ली में मौलाना आज़ाद की अध्यक्षता में कांग्रेस का एक विशेष अधिवेशन बुलाया गया।
अब स्वराज्य पार्टी का महत्व बढ़ रहा था।
इसके नेताओं ने संविधान में परिवर्तन की सिफारिश की।
उन्होंने 1919 ई. के अधिनियम के सुधार की माँग भी की।
परन्तु यह पार्टी अपना वास्तविक उद्देश्य पूरा न कर सकी, 1925 ईस्वी में कांग्रेस और स्वराज्य पार्टी पुनः एक हो गए।