Tropical and Temperate Cyclones: The tropical climate is one of the five major climate groups in the Koppen climate classification and Temperate cyclones are also known as Extra-tropical cyclones
उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात(Tropical and Temperate Cyclones)
वायुराशि
किसी समरूप क्षेत्र पर जब वायु पर्याप्त समय तक रहती है,तो यह इन समरूपी क्षेत्रों के गुणों को धारण कर लेती है।
तो हम कह सकते है की समरूप क्षेत्रों में तापमान और आद्रता वाली यह वायु ही “वायुराशि” कहलाती है।
उद्गम क्षेत्रों के आधार वायु राशियों को पांच भागों में वर्गीकृत किया गया है-
(01) उष्ण व उपोष्ण कटिबंधीय महासागर
(02) उपोष्ण कटिबंधीय उष्ण मरुस्थल
(03) उच्च अक्षांशीय अपेक्षाकृत ठंडे मरुस्थल
(04) उच्च अक्षांशीय अति शीत बर्फ आच्छादित महाद्वीपीय क्षेत्र
(05) स्थायी रूप से बर्फ आच्छादित महाद्वीप आर्कटिक और अंटार्कटिक
इन्ही के आधार पर निम्न वायुराशियाँ पायी जाती है
(01) उष्णकटिबंधीय महासागरीय वायुराशियाँ
(02) उष्णकटिबंधीय महाद्वीपीय
(03) ध्रुवीय महासागरीय
(04) महाद्वीपीय आर्कटिक
note- उष्णकटिबंधीय वायुराशियाँ गर्म और ध्रुवीय वायुराशियाँ ठंडी होती है।
Tropical and Temperate Cyclones
वाताग्र
जब ठंडी वायु राशि और गरम वायुराशि एक दूसरे की और बहती है तब इनके मिलान तल को “वाताग्र” कहते है।
वाताग्र चार प्रकार के होते है –
(01) शीत वाताग्र
(02) उष्ण वाताग्र
(03) अचर वाताग्र
(04) अधिविष्ट वाताग्र
(01) शीत वाताग्र
जब ठंडी व भारी वायु गर्म वायुराशियों या उष्ण वायुराशियों को ऊपर धकेलती है, तो इस सम्पर्क क्षेत्र को “शीत वाताग्र” कहते है।
(02) उष्ण वाताग्र
जब गर्म वायुराशियों ठंडी वायुराशियों पर चढ़ती है तो इस संपर्क क्षेत्र को “उष्ण वाताग्र” कहते है।
चक्रवात
यह घूमती हुई वायुराशि का नाम है।
उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवात के भीतर की पवनें वामावर्त (Anti-Clockwise) दिशा में चलती है।
दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात के भीतर की पवनें दक्षिणावर्त (Clockwise) दिशा में चलती है।
चक्रवात दो प्रकार के होते है-
(01) शीतोष्ण कटिबंधीय या मध्य अक्षांशीय चक्रवात
(02) उष्णकटिबंधीय या निम्न अक्षांशीय चक्रवात
(01) शीतोष्ण कटिबंधीय या मध्य अक्षांशीय चक्रवात
यह चक्रवात 350 से 650 उत्तर और दक्षिण अक्षांशों के बीच बनते है।
इनकी मोटाई 9 से 11 कि.मी होती है।
अगर इनके व्यास की बात करें तो ये चक्रवात छोटे और बड़े दोनों व्यासों में बनते है।
छोटे व्यास के चक्रवात: 1040 कि.मी. तक विस्तार
बड़े व्यास के चक्रवात: 1920 कि.मी. तक विस्तार
इनकी रफ्तार 50 से 100 कि/घंटा होती है।
यह चक्रवात पश्चिम से पूर्व की ओर चलते है।
प्रमुख प्रभावित क्षेत्र
अंटलाटिक महासागर और उत्तर पश्चिम यूरोप
(02) उष्णकटिबंधीय या निम्न अक्षांशीय चक्रवात
उष्णकटिबंधीय चक्रवात तीव्र गोलाकार तूफान होते हैं।
यह गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में 119 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ज्यादा और भारी बारिश के साथ उत्पन्न होते हैं।
इनकी अत्यधिक स्थिति में रफ़्तार 240 कि.मी/घंटा और जब ये प्रचंड रूप में होते है तब हवा की रफ़्तार 320 कि.मी/घंटा होती है।
हवा जब अधिकतम निरंतर गति 63 किमी/घंटा से कम होती है, तो इसे “उष्णकटिबंधीय डेपरेशन” के रूप में जाना जाता है।
और जब अधिकतम निरंतर गति 63 किमी/घंटा से अधिक होती है तो इसे “उष्णकटिबंधीय तूफान” कहा जाता है।
दुनिया में उष्णकटिबंधीय या निम्न अक्षांशीय चक्रवातों अलग-2 नामों से जानते है –
हरीकेन (Hurricane) | अटलांटिक महासागर और पूर्वी उत्तरी प्रशांत महासागर |
टायफून (Typhoon) | पश्चिमी प्रशांत महासागर |
विली-विली (Willy-Willy) | ऑस्ट्रेलिया |
टॉरनेडो (Tornado) | यू.एस.ए |
चक्रवात | हिन्द महासागर |
इस प्रकार के चक्रवातों की उत्पत्ति और विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां
(01) बृहद समुद्री सतह, जिसका तापमान 270 से अधिक हो
(02) कोरिऑलिस बल का होना
(03) निम्न स्तर का चक्रवातीय परिसंचरण का होना
(04) समुद्री तल तंत्र पर ऊपरी अपसरण
चक्रवात के अंदर निम्न वायुदाब होता है।
प्रतिचक्रवात
यह चक्रवातों से विपरीत होते है, इनके केंद्र में उच्चदाब का क्षेत्र होता है।
इनमें “वाताग्र” नहीं बनते है