जनजातीय आंदोलन
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के समय कुछ अन्य जनजातीय आंदोलन और उनके प्रभाव-
(1) चुआर विद्रोह- (1776)-
- यह विद्रोह चुआर जनजाति के द्वारा किया गया।
- विद्रोह का कारण अंग्रेजों की शोषण पूर्ण आर्थिक नीतियां थी।
(2) कोल विद्रोह-(1831)-
- यह विद्रोह छोटा नागपुर के कोलों ने किया।
- विद्रोह का नेतृत्व- बुद्धो भगत ने किया।
- विद्रोह का कारण अंग्रेजों द्वारा उस क्षेत्र में प्रचार तथा कोलों की भूमियों को बाहरी व्यक्तियों को हस्तांतरित किया जाना था।
(3) हो एवं मुंडा विद्रोह-
- 1827 ई.में- यह विद्रोह राजा पराहत के नेतृत्व में हो जनजातियों द्वारा सिंह भूमि जिले और छोटानागपुर को अंग्रेजों द्वारा हस्त गत कर लिए जाने के विरोध में हुआ।
- 1831 ई.में-यह विद्रोह हो और मुंडा जनजातियों द्वारा संयुक्त रुप से अंग्रेजों की नयी भु-राजसव पद्धति के विरोध में हुआ।
- 1899-1900 ई.में- यह विद्रोह रांची के दक्षिण में मुण्डाओं द्वारा बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ, बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
- उलगुलान विद्रोह- (1860-1920)- (1) बिरसा मुंडा ने इस विद्रोह का समर्थन किया।
- यह विद्रोह सामंती एवं जमीदारी व्यवस्था प्रारंभ किए जाने तथा साहूकारों एवं ठेकेदारों द्वारा शोषण शोषण किए जाने के विरोध में हुआ।
(4) संथाल विद्रोह-(1855-56)-
- यह विद्रोह बिहार में संथालों द्वारा किया गया
- विद्रोह का नेतृत्व – सीदो और कान्हु ने किया
- विद्रोह का कारण-स्थानीय जमीदारों एवं महाजनों द्वारा किए जा रहे शोषण के विरोध में हुआ था, बाद में इस विद्रोह ने अंग्रेज-विरोधी आंदोलन का स्वरूप धारण कर लिया।
(5) खोंड विद्रोह-
- यह विद्रोह जनजातीय रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप किए जाने तथा नई कर आरोपित किए जाने पर हुआ।
- 1837-56 ई.तक- विद्रोह का नेतृत्व – चक्र बिसाई ने किया
- 1914 ई.में- यह विद्रोह तमिलनाडु से लेकर बंगाल तक फैले हुए पहाड़ी क्षेत्रों और उड़ीसा में हुआ।
(6) खोंड़ा डोरा विद्रोह -(1900)
- इस विद्रोह को खोंड़ा डोरा जनजाति द्वारा विशाखापट्टनम के डाबूर क्षेत्र में किया गया।
- विद्रोह का नेतृत्व-कोरा मल्लाया ने किया।
(7) भील विद्रोह-
- यह विद्रोह ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के विरोध एवं भील राज की स्थापना के लिए हुआ।
- यह विद्रोह 1817-19 एवं 1913 में पश्चिमी घाट के क्षेत्र में हुआ।
(8) भुयान एवं जुआंग विद्रोह-
- 1867 ई. में- यह विद्रोह स्थानीय राजा की मृत्यु के बाद अंग्रेजों द्वारा उत्तराधिकार के प्रश्न पर हस्तक्षेप करने के विरोध में हुआ।
- 1867-68 ई.में- प्रथम विद्रोह का नेतृत्व-रतना नायक ने किया।
- 1891-93 ई.में- द्वितीय विद्रोह का नेतृत्व धरणी धर नायक ने किया।
(9) कोया विद्रोह-
- यह विद्रोह कोया और कोंडा सोरा जनजातियों द्वारा किया गया।
- 1879-80 ई.में- विद्रोह का नेतृत्व टोम्मा सोरा ने किया।
- विद्रोह के प्रमुख केंद्र-आंध्र प्रदेश का पूर्वी गोदावरी क्षेत्र एवं उड़ीसा के कुछ क्षेत्र।
- सबसे मुख्य केंद्र- चोडवरम का रम्पा प्रदेश।
Read Also: