Atmospheric Pressure Belts

On the earth’s surface, there are seven Atmospheric Pressure Belts.

वायुमंडलीय दाब

यह सतह पर उसके ऊपर की हवा द्वारा लगाया गया बल है, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिचाव की वजह से लगता है।

“मिलिबार (किलोपास्कल)” को इसकी इकाई माना गया है।

ऊंचाई बढ़ने के साथ-2 वायुदाब में औसतन कमी की दर प्रति 300 मीटर ऊंचाई पर 34 मिलिबार है।

वायुदाब की प्रवणता (Air Pressure Gradient)

दो स्थानों के बीच वायुदाब की भिन्नता और उन स्थानों के बीच क्षैतिज दुरी का होता है।

वायुमण्डलीय दाब को “बैरोमीटर” से मापा जाता है।

बैरोमीटर में, कांच की नली में पारा का एक स्तंभ वायुमंडल के भार में परिवर्तन के साथ ऊपर या नीचे जाता है।

Atmospheric Pressure
Barometer Reading

समदाब रेखा (Isobar)

सागरतल पर समान वायुदाब वाले क्षेत्रों को मिलाने रेखा है।

समुद्रतल पर वायुदाब अधिक और पर्वतों पर कम होता है।

वायुदाब पेटियाँ (Atmospheric Pressure Belts)

धरातल पर वायुदाब का क्षैतिज वितरण मुख्य अक्षांश वृतो के साथ पटियों के रूप में पाया जाता है, और इन्हे ही वायुदाब पेटियाँ कहा जाता है

वायुदाब की विश्व में पायी जाने चार आदर्श पेटियाँ है-

(01) विषुवतीय वायुदाब पेटी-

सूर्य की किरणें विषुवृत्त पर वर्षभर लंबवत पड़ती रहती है।

विषुवतीय क्षेत्रों में इस कारण वायु गर्म होकर ऊपर उठती रहती है जिससे इन क्षेत्रों में “निम्न वायुदाब” बन जाता है।

विषुवतीय वायुदाब पेटी का विस्तार

यह 100 उत्तरी और 100 दक्षिणी अक्षांश बीच फैली हुई है।

शांत पेटियाँ या डोलड्रम क्यों कहते है?

ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण यहाँ वायु की गति संवहन धाराओं (Convection Currents) के रूप में मुख्यतः ऊर्ध्वाधर होती है।

इस पेटी में वायु के अभाव के कारण इसे “शांत पेटियाँ या डोलड्रम” कहा जाता है।

उपोष्ण उच्च दाब से आने वाली पवने इस पेटी में आकर मिलती है।

इन पेटियों में पवनो का अभिसरण होता है, इसलिए इसे “उष्ण कटिबंधीय अभिसरण” क्षेत्र भी कहते है।

उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र

इस पेटी का विस्तार दोनों गोलार्धों में कर्क और मकर वृत्त से 350 अक्षांशों तक है।

उत्तरी गोलार्ध में इस पेटी को उत्तरी उपोष्ण उच्च दाब पेटी कहते है।

दक्षिणी गोलार्ध में इस पेटी को दक्षिणी उपोष्ण उच्च दाब पेटी कहते है।

उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र कैसे बनती है?

आपको याद होगा की विषुवतीय क्षेत्रों में वायु गर्म होकर ऊपर उठती रहती है और यही वायु पृथ्वी की घूर्णन गति की वजह से ध्रुवों की ओर प्रवाह होने लगती है।

उपोष्ण क्षेत्र में आकर यह वायु ठंडी और भारी हो जाती है, और नीचे उतर कर इकठ्ठा हो जाती और इसी कारण यहाँ उच्च वायुदाब क्षेत्र बन जाता है।

इस पेटी को अश्व अक्षांश (घोड़े का अक्षांश ) भी कहा जाता है।

इन पेटियों में पवन का अपसरण भी होता है इसलिए इन्हे अपसरण क्षेत्र भी कहते है।

Atmospheric Pressure Belts

उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियां

इस पेटी का विस्तार उत्तरी गोलार्ध में 450 उत्तर अक्षांश से आर्कटिक वृत्त तक और दक्षिणी गोलार्ध में 450 दक्षिण अक्षांश से अंटार्कटिक वृत्त तक है।

उत्तर गोलार्ध में इसे उत्तरी उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियां, और दक्षिण गोलार्ध में इसे दक्षिणी उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियां कहते है।

ध्रुवों और उपोष्ण उच्चदाब क्षेत्रों की पवनें इस क्षेत्र में आकर मिलती है, और ऊपर की ओर उठना शुरू कर देती है।

तापमान कम होने के बाद भी यहाँ का वायुदाब निम्न होता है इसका का कारन पृथ्वी की घूर्णन गति है।

पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण वायु बाहर की ओर फैलकर स्थान्तरित हो जाती है, और इस वजह से यहाँ का वायुदाब कम हो जाता है।

ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी

इन क्षेत्रों में सूर्य का आपतन कोण न्यूनतम होता है, और यही कारण है की यहाँ सबसे कम तापमान होता है।

तापमान कम होने कारण वायु सिकुड़ती रहती है, और इसका घनत्व बढ़ जाता है, इसी वजह यहाँ पर उच्च वायुदाब क्षेत्र बन जाता है।

उत्तर गोलार्ध में इसे उत्तरी ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटियां, और दक्षिण गोलार्ध में इसे दक्षिणी ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटियां कहते है।

महासागरों के पूर्वी भाग जहाँ ठंडी धाराएं बहती है, वहां उच्च वायुदाब क्षेत्र अधिक विकसित होते है।

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