Himachal And Himalayas
Know the relation of Himachal And Himalayas
हिमाचल शब्द
हिम+अचल:संस्कृत के 2 शब्दों की संधि से हिमाचल शब्द बना है।
हिम का अर्थ– बर्फ,
हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में पवित्रता, सफेदी, तथा निष्कपट से लिया जा सकता है, क्योंकि बर्फ भी शुद्ध और बहुत ज्यादा ठंडी होती है।
अचल का अर्थ है: पर्वत, पहाड़
यहां वह निरंतरता, बलशाली, विश्वसनीय, तथा संवेदनशील, गहराई को प्रदर्शित करता है।
प्राचीन ग्रंथों में हिमालय का वर्णन
हिमाचल प्रदेश देवाधिदेव “शिव” का ससुराल है, और कृष्ण भगवान ने हिमालय पर्वत को अपना स्वरूप माना है।
श्रीमद्भागवत गीता में लिखा है कि “स्थावराणांम हिमालय” अर्थात “पर्वतों में मैं हिमालय हूँ”
हिमालय का विस्तार
जम्मू और कश्मीर से शुरू होते हुए हिमाचल प्रदेश गढ़वाल और कुमाऊं उत्तराखंड, नेपाल, दार्जिलिंग, सिक्किम, भूटान, नागालैंड, असम, आदि क्षेत्रों में फैला है।
इसकी चौड़ाई 250 कि.मी. से 300 कि.मी. तक है इसकी लंबाई 2500 किलोमीटर है।
हिमालय पर्वत के पश्चिमी और पूर्वी छोरों पर मुड़े हुए घुटने की भांति तीखे मोड़ दिखाई पड़ते हैं, जिन्हें क्रमश कश्मीर एवं असम में सिनटैक्सिस कहते हैं
यह मुख्य हिमालय में 2000 से 4000 मीटर गहरी खाई(Gorge)या बनाती है।
Himachal And Himalayas
पश्चिम की अपेक्षा पूर्व की ओर हिमालय की ऊंचाई अधिक है
पश्चिम की ओर हिमालय की चौड़ाई अधिक है
हिमालय के विकास को समझने के लिए तृतीयक कल्प (Tertiary era) से पहले की स्थिति को समझना होगा।
टेथिस सागर
कल्प के प्रारंभ होने से 7 करोड वर्ष पूर्व हिमालय के स्थान पर एक लंबा संकरा जलमग्न क्षेत्र था, जो टेथिस सागर के नाम से विख्यात था।
टेथिस सागर के उत्तर में अंगारालैंड एवं दक्षिण में गोंडवानालैंड के भूखंड थे।
- हिमालय की प्रमुख श्रेणी में- पूर्व कैंब्रियन की रेवेदार नीस, शिष्ट, क्वार्ट्जाइट, आदि आर्कियन युगीन चट्टानों, की बहुलता।
- विंध्य श्रेणी में मिलने वाली चट्टानों के समकालीन चूना पत्थर एवं क्वार्ट्जाइट की प्रचुरता मिलती है।
महान हिमालय अक्ष के दोनों और दो समान्तर भू-सन्नति (Geosynclines) थी।
तृतीयक कल्प के प्रारंभ के अवसाद, उत्तरी भूसन्नति में पूराजेव कल्प (Paleozoicera) के प्रारंभ में निक्षेपित हुए,जिनमें जीवावशेष युक्त चटाने कम पाई जाती थी।
हिमालय के उत्थान के चरण
विश्व में बड़े पैमाने पर भू-संचलन एवं पटल विरूपण की घटनाएं मध्य कल्प के अंत में शुरू हुई।
गोंडवानालैंड का विखंडन कार्बोनिफेरस युग में प्रारंभ हो गया था।
महान हिमालय का निर्माण प्रथम चरण में हुआ।
लघु हिमालय का निर्माण द्वितीय चरण में हुआ।
शिवालिक श्रेणी तृतीय चरण में उभरी।
सिंधु गंगा बेसिन का निर्माण
चौथे चरण में इन सभी श्रेणियों का पुनरुत्थान हुआ, जिससे शिवालिक श्रेणियों की ऊंचाई बड़ी, और साथ ही एक अग्रगर्त (Foredeep) का निर्माण हुआ, जिसके अवसाद से सिंधु गंगा बेसिन का निर्माण हुआ।
Himachal And Himalayas
हिमालय कब और कैसे बना?
- बीसवीं शताब्दी के सातवें दशक में वैज्ञानिकों ने कहा कि- भारत की सीमाएं कभी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, और अंटार्कटिका महाद्वीप, से लगती थी।
- इस महान द्वीप का नाम उन्होंने का नाम उन्होंने “गोंडवाना” कल्पित किया,इस नाम का आधार आधुनिक मध्य प्रदेश के गोंडजन है।
- भारत लगभग 10 करोड वर्ष पूर्व अपने अन्य महाद्वीपीय भागों से अलग होकर पुराने टेथिस सागर की ओर 12 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़कर एशिया से टकराने जा रहा था।
- एशिया महाद्वीप तक पहुंचने और प्रथम टकराहट में इसे 6 करोड वर्ष लगे और 6000 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा था।
इस टकराहट के साथ हिमालय का जन्म आधुनिक लद्दाख के “लाटो” नामक स्थान पर हुआ। - टेथिस सागर के लुप्त होते 2 महाद्वीप- एशिया और भारत की टकराहट की आंखों दिखते प्रमाण हिमाचल के स्पीति, किन्नर प्रदेश, और रामपुर, में मिलते हैं।
महान हिमालय “जास्कर श्रेणी” तथा लघु हिमालय “पीर पंजाल श्रेणी” इस भाग में आती है।
इन दोनों श्रेणियों के मध्य में कश्मीर घाटी स्थित है ।
पश्चिमी हिमालय का सर्वोच्च शिखर नागा पर्वत(8176 मीटर) है।
कश्मीर घाटी में स्थित करेवा निक्षेप 80 किलोमीटर लंबे तथा 5 से 25 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत है
और यह एक पठारनुमा धरातल प्रस्तुत करते हैं यह सिल्ट, संघनित बालूकण, तथा कांच से निर्मित है।
जिनमें चिनाब रावी एवं सतलुज तथा उनकी सहायक नदियों द्वारा गहरी संकीर्ण घाटियों का जाल फैला है।
इन घाटियों का आकार सामान्यतः V आकृति का होता है।