Lahaul And Spiti
District Lahaul and Spiti
01 नवंबर 1966, जिले का गठन किया गया
मुख्यालय: केलांग (समुद्र तल से ऊंचाई-3165मीटर)
कुल क्षेत्रफल: 13835 वर्ग किलोमीटर(24.85% of the total area in Himachal Pradesh ) , साक्षरता दर- 77.24%
भाषाएं: भोटी,मनचत,चांगसा,गहरी
पड़ोसी जिले: (1) लाहौल स्पीति के उत्तर में जम्मू कश्मीर राज्य (2) पूर्व में तिब्बत देश (3) दक्षिण पूर्व में किन्नौर जिला (4) दक्षिण में कुल्लू जिला (5) पश्चिम में चंबा (6) दक्षिण पश्चिम में कांगड़ा जिला
घाटियां:
(1) चंद्रा घाटी (इस घाटी को रंगोली भी कहा जाता है) (2) भागा घाटी को गारा भी कहा जाता है (3) स्पीति में पिन घाटी भी है।
चंद्रभागा घाटी को पटन घाटी भी कहा जाता है।
Lahaul And Spiti
मुख्य दर्रे:
- रोहतांग दर्रा: यह दर्रा लाहौल को कुल्लू से जोड़ता है, रोहतांग का अर्थ है लाशों का ढेर।
- भंगाल दर्रा : लाहौल और बड़ा भंगाल के बीच स्थित है।
- शिंगड़कौन दर्रा : लाहौल और जास्कर के बीच स्थित है।
- कुंजुम दर्रा: लाहौल को स्पीति से जोड़ता है।
- कुगती दर्रा: लाहौल को भरमौर से जोड़ता है।
- बारालाचा दर्रा: लाहौल को लदाक से जोड़ता है, इस तरह पर जाकर स्पीति लाहौल और लद्दाख की सड़कें आपस में मिलती हैं। इस दर्रे से चंद्रभागा और यूनान नदियां निकलती है।
नदियां:
- चंद्रा नदी: शिगड़ी ग्लेशियर से होते हुए तांडी तक बहती है।
- भागा नदी: बारालाचा दर्रे से निकलकर सूरज ताल में प्रवेश करती है दारचा में भागा नदी जास्कर नदी में मिलती है।
- स्पीति नदी: स्पीति नदी स्पीति की और किन्नौर की प्रमुख नदी है,यह खाब के पास अतुल नदी में मिलती है।
- पिन नदी: स्पीति नदी की सहायक नदी है।
लाहौल:
- लाहौल को गारजा और स्वांगला भी कहा जाता है।
- कनिंघम के अनुसार लाहौल का अर्थ “दक्षिण जिला” लद्दाख का
- राहुल सांस्कृत्यान ने लाहौल को देवताओं की भूमि कहां है।
- स्पीति का शाब्दिक अर्थ है “मणियों की भूमि” स्पीति का मुख्यालय काजा है।
इतिहास:
- प्राचीन इतिहास: मनु को इस क्षेत्र का प्राचीन शासक बताया गया है महाभारत युद्ध में भी इस क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया था कनिष्क के समय यह क्षेत्र उनके कब्जे में था।
- जास्कर क्षेत्र में कनिष्क का एक स्तूप प्राप्त हुआ है गुप्त काल के बाद हर्षवर्धन के समय लाहौल का संबंध हर्ष के साम्राज्य से पुनः जुड़ गया।
- 635 ई.में- हेनसांग कुल्लू और लाहौल की यात्रा की।
- स्पीति के शासकों को “नोनो” कहा जाता था।
मध्यकालीन इतिहास:
- आठवीं सदी में लाहौल कश्मीर का भाग बन गया था उदयपुर के मृकुला देवी और त्रिलोकीनाथ में कश्मीर कला के नमूने मिले हैं।
- लाहौल पर लद्दाख के राजा ला-चन- उत्पल (1080-1110) का शासन तब से रहा जब से उसने कुल्लू पर आक्रमण कर उसे गाय और याक के मिश्रण से “जौ” देने के लिए मजबूर किया।
- कश्मीर के राजा जैन-उल-बदिन (1420-1470) के तिब्बत आक्रमण के समय कुल्लू और लाहौल लद्दाख (तिब्बत) के अधीन थे।
- कुल्लू के राजा बहादुरशाह (1532-1559) के समय लाहौल कुल्लू का भाग बन गया था।
- चंबा के राजाओं ने भी लाहौल के अधिकतर भाग पर अधिकार किया था उदयपुर का मृकुला देवी मंदिर चंबा के राजा प्रताप सिंह वर्मन द्वारा बनवाया गया था।
- कुल्लू के राजा जगत सिंह (1637-1672) के समय लाहौल कुल्लू का भाग था।
- मुगलों की मदद से कुल्लू के राजा विधि सिंह (1672-1688) ने लाहौल के ऊपरी क्षेत्रों पर कब्जा किया था।
- तिब्बत लद्दाखी मुगल युद्ध (1681-1683) में स्पीति काफी हद तक कुल्लू और लद्दाख से स्वतंत्र था।
- कुल्लू के राजा मानसिंह ने गोंदला किला बनवाया था।
Lahaul And Spiti
आधुनिक इतिहास
गेमूर गोम्पा में कुल्लू के राजा विक्रम सिंह (1806-1816) का नाम शिलालेख में मिला है।
विलियम मूरक्राफ्ट की 1820 ई. में लाहौल यात्रा का विवरण भी यहां पर दर्ज है।
सिख
1840 ई. में लाहौल सिखों के कब्जे में आ गया। कनिंघम ने 1839 ई. में लाहौल की यात्रा की।
सिखों के सेनापति जोरावर सिंह ने (1834-1835) ई. में लद्दाख/जास्कर और स्पीति आक्रमण किया।
- 1846 ई. में अमृतसर संधि (अंग्रेजों और गुलाब सिंह) के बाद स्पीति अंग्रेजों के अधीन आ गया।
- चंबा लाहौल और ब्रिटिश लाहौल का विलय 1975 ईस्वी में हुआ।
- अंग्रेजों ने बालीराम को लाहौल का पहला नेगी बनाया।
- 1857 ईसवी के विद्रोह के समय स्पीति के ‘नोनो वजीर’ ने अंग्रेजों की मदद की।
त्योहार
लदारता- यह मेला हर वर्ष जुलाई में किब्बर गांव में लगता है।
सिसु मेला- यह मेला जून में शांशुर गोम्पा, जुलाई में गेमूर गोम्पा और अगस्त में गोंदला के मनी गोम्पा में लगता है।
फागली मेला- फागली या कुन मेला फरवरी की अमावस्या को पट्टन घाटी में लगता है यह फाल्गुन के आने का संकेत है।
पौरी मेला- यह मेला अगस्त में त्रिलोकीनाथ मंदिर में लगता है जहां शुद्ध घी का दीपक पूरे वर्ष जलता है।
हाल्दा लोसर- लाहौल का नववर्ष आगमन का त्यौहार है जो दिवाली के जैसा है।
लोकनृत्य- शेहनी धूरे, घारफी (लाहौल स्पीति का सबसे पुराना नृत्य)।
पेय- छांग जो चावल, जौ, गेहू से बनती है यह एक देसी शराब है।
तांडी- तांडी गाँव तन देहि से उत्पन हुआ है ताण्डी में द्रोपदी ने अपना तन छोड़ा था।