जिला सिरमौर-
sirmour district
- जिला सिरमौर का गठन-15 अप्रैल 1948, को किया गया।
- मुख्यालय- नाहन (समुद्र तल से ऊंचाई-933 मीटर)।
- कुल क्षेत्रफल- 2825 वर्ग किलोमीटर(5.07%),साक्षरता दर- 79.98% (2011)।
- भाषाएं- सिरमौरी व हिंदी इत्यादि।
पड़ोसी जिले-
(1) उत्तर में शिमला जिला (2) उत्तर पश्चिम में सोलन जिला
(3) दक्षिण में हरियाणा का अंबाला जिला (4) सिरमौर के पूर्व में उत्तराखंड प्रांत है।
घाटियां:
- गिरी, जलाल, घग्गर, मारकंडा, नेड़ा और बाता आदि नदियों की घाटियां है।
- सिरमौर जिला को भौगोलिक दृष्टि से तीन खंडों में विभाजित किया जा सकता है। गिरी पार(Trans Giri) गिरी आर(Cis Giri) क्यारदा दून या दून घाटी
(01) गिरी पार(Trans Giri): चूड़धार चोटी इसी घाटी में पाई जाती है जिसकी ऊंचाई 11,982 फुट है।
अन्य प्रमुख चोटियां इस प्रकार हैं-
(1. )धार टपरोली ज़दोल, धार नोहरा, हरिपुर किला(8809 फुट) दूधाम धार, “धार सिलाई व धार निगाली” कामरुधार व धार शिलाई मिलकर नैरा नदी घाटी का निर्माण करती है,जो अंततः टोंस नदी में समाहित हो जाती है।
(2). गिरी आर(Cis Giri)-
यह खंड तीन पहाड़ी श्रृंखला द्वारा विभाजित है, जो उत्तर से पश्चिम व दक्षिण से पूर्व की ओर विकसित है।
(3). सैन धार व धारथी धार –
इन दोनों के मध्य जलाल नदी बहती है। तीसरी श्रृंखला की ऊंचाई काफी कम है, इसका पश्चिमी अर्द्ध मारकंडा नदी द्वारा सिंचित किया जाता है।
(4). क्यारदा दून या दून घाटी : सिरमौर के लिए यह घाटी अन्न का भंडार है।
नदियां:
- यमुना नदी यमुनोत्री से निकलकर हिमाचल प्रदेश में खोदरी माजरी में प्रवेश करती है,और ताजेवाला से हिमाचल प्रदेश को छोड़कर उत्तराखंड में प्रवेश करती है।
- यमुना नदी की सहायक नदियां: टोंस नदी, गिरी नदी, बाटा नदी, जलाल नदी, मारकंडा, घग्गर।
सिरमौर का नामकरण-
(1). सिरमौर के प्राचीन निवासी कुलिंद थे, कुलिंद राज्य मौर्य साम्राज्य के शीर्ष पर स्थित था। जिस कारण से शिरमौर्य की संज्ञा दी गई जो कालांतर में सिरमौर बन गया।
(2). राजा रसालू के पूर्वज का नाम सिरमौर था, इसलिए राज्य का नाम सिरमौर रखा गया।
(3). इस क्षेत्र में सिरमौरिया देवता की पूजा की जाती थी, जिसके कारण राज्य का नाम सिरमौर रखा गया।
सिरमौर रियासत की स्थापना-
“तारीख -2 रियासत सिरमौर” रणजौर सिंह की पुस्तक के अनुसार सिरमौर रियासत का प्राचीन नाम सुलोकिना था।
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इतिहास:
- इसकी स्थापना 1139 ईस्वी में जैसलमेर के राजा सालवाहन के पुत्र राजा रसालू ने की थी।
- माहे प्रकाश(1199-1217)- सुभाष प्रकाश की 1199 ईस्वी में मृत्यु होने के बाद माहे प्रकाश राजा बने।
- उसके शासनकाल में सिरमौर की सीमाएं गढ़वाल, भागीरथी, श्रीनगर और नारायणगढ़ तक फैल गई।
- उन्होंने भागीरथी नदी के पास “मालदा किले” पर कब्जा कर उसका नाम माहे देवल रखा।
(1). उदित प्रकाश(1217-1227)-
- उदित प्रकाश ने 1217 ईस्वी में सिरमौर रियासत की राजधानी राजबन से कालसी में स्थानांतरित की।
(2). कौल प्रकाश(1227-1239)-
- कौल प्रकाश ने जुब्बल, बालसन और थरोच को अपनी राजधानी कर उसे अपनी जागीर बनाया
- कौल प्रकाश ने 1235 ईसवी में रजिया सुल्तान के विरोधी “निजाम उल मुल्क” को शरण दी थी।
(3). सुमेर प्रकाश(1239-1248)-
- सुमेर प्रकाश क्योंथल की जागीर रतेश को अपने अधीन कर उसे सिरमौर रियासत की राजधानी बनाया।
(4). सूरज प्रकाश(1374-1386)-
- सूरज प्रकाश जुब्बल, बालसन, कुमारसेन, घुण्ड,सारी, ठियोग, रावी और कोटगढ़ को अपने अधीन कर लगान वसूल किया।
(5). भगत प्रकाश(1374-1386)-
- भगत प्रकाश फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था।
- 1379 ईस्वी में भगत प्रकाश के शासनकाल में फिरोज शाह तुगलक ने सिरमौर रियासत को अपनी जागीर बनाया।
(4). वीर प्रकाश(1388-1398)-
- वीर प्रकाश ने हाटकोटी को अपनी राजधानी बनाया।
- उन्होंने पब्बर नदी के किनारे भगवती दुर्गा का मंदिर बनवाया वीर प्रकाश ने राबीन गढ़ किला बनवाया।
(5). दीप प्रकाश(1570-1585)-
- 1573 ईस्वी में दीप प्रकाश ने सिरमौर के त्रिलोकपुर में बाला सुंदरी का मंदिर बनवाया।
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(6). करम प्रकाश(1616-1630)-
- कर्म प्रकाश ने बाबा बनवारी दास के परामर्श से 1621 ईसवी में सिरमौर रियासत की राजधानी कालसी से नाहन स्थानांतरित की।
(7). मन्धाता प्रकाश(1630-1654)- मन्धाता प्रकाश शाहजहां का समकालीन था।
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(8). मेदनी प्रकाश(1678-1694)-
- मेदनी प्रकाश के शासनकाल में गुरु गोविंद जी नाहन और पौंटा आए।
- पौंटा साहिब में गुरु गोविंद जी 1684-1688 ईसवी तक रहे और भगानी साहिब का युद्ध लड़ा।
- मेदनी प्रकाश ने नाहन में 1681 ईसवी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
(9). जगत प्रकाश(1773-1792)-
- 1785 ईस्वी में जगत प्रकाश ने गुलाम कादिर रोहिल्ला को युद्ध में हराने के बाद कटासन देवी का मंदिर बनवाया।
(10)धर्म प्रकाश(1792-1796)-
सिरमौर के राजा धर्म प्रकाश ने कलूर के राजा महान चंद की सहायता के लिए संसार चंद और हंडूर रियासत के विरुद्ध युद्ध लड़ा, जिसमें 1796 इसी में उसकी मृत्यु हो गई।
(11). कर्म प्रकाश(1796-1815)-
- कर्म प्रकाश के शासनकाल में मेहता प्रेम सिंह वजीर की मृत्यु के बाद रियासत में घरेलू विद्रोह होने लगे।
- कर्म प्रकाश परिवार के साथ 1803 ईस्वी में क्यारदा दून के कांगड़ा किले में रहने लगे।
- उन्होंने विद्रोह को दबाने के लिए गोरखो को आमंत्रित किया।
- रनजौर सिंह (अमर सिंह थापा का पुत्र) ने 1809 में सिरमौर रियासत को अपने अधीन कर लिया और रनजौर सिंह ने जातक दुर्ग का निर्माण करवाया।
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(12). फतेह प्रकाश(1815-1850)-
- फतेह प्रकाश को ब्रिटिश सरकार ने दिसंबर 1815 ईस्वी को राजा बनाया।
- फतेह प्रकाश ने नाहन में शीश महल और मोती महल का निर्माण करवाया।
(13). शमशेर प्रकाश(1856-1898)-
- शमशेर प्रकाश ने 1857 ईसवी के विद्रोह में अंग्रेजों का साथ दिया।
- शमशेर प्रकाश के शासनकाल में 1875 ईस्वी में नाहन फाउंड्री, 1807 ईस्वी में रानीताल बाग़,1888 ईसवी में नाहन मुंसिपल कमेटी की स्थापना हुई।
- 1808 ईस्वी में लॉर्ड रिपन नाहनआए
- 1850 ईसवी में लॉर्ड डफरिन नाहन आए।
- 1878 में शमशेर प्रकाश ने लॉर्ड लिटन के नाहन प्रबास की स्मृति में लिंटन मेमोरियल (दिल्ली गेट) बनवाया।
- शमशेर प्रकाश सबसे लंबी अवधि तक शासन करने वाले (42 वर्ष) सिरमौर के राजा रहे थे।
(14). अमर प्रकाश(1911-1933)-
- अमर प्रकाश प्रथम विश्व युद्ध में योगदान के लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने महाराजा और K.C.S.I (Knight Commander Of The Order Of The Star Of India) की उपाधि से अलंकृत किया।
- उन्होंने ने अपनी पुत्री के नाम पर नाहन में महिमा पुस्तकालय की स्थापना की जो हिमाचल प्रदेश का सबसे पुराना पुस्तकालय है।
- अमर प्रकाश की मृत्यु ऑस्ट्रिया की राजधानी बियाना में 1933 ईस्वी में हुई।
(15). राजेंद्र प्रकाश(1933-1948)-
- सिरमौर रियासत के अंतिम शासक थे।
- 1937 ईस्वी में प्रजामंडल की स्थापना हुई
- पझौता आंदोलन-1945 ईस्वी में हुआ आंदोलन में किसान सभा का गठन हुआ,जिसका सभापति लक्ष्मी तथा सचिव वैद्य सूरत से चुना गया 13 मार्च पर हस्ताक्षर किए।
- 13 मार्च 1948 ईस्वी को महाराज राजेंद्र प्रकाश ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।
- सिरमौर 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल प्रदेश का जिला बना।
मेले:
- अंबोया में 30 जनवरी को गांधी मेला लगता है।
- पुरुबाला में नाग नाओना मेला दशहरे के दिन लगता है।
- रेणुका मेला नवंबर महा में लगता है पौंटा साहिब में होली पर सिखों का त्योहार होला मोहल्ला और शरद ऋतु में यमुना शरद महोत्सव मनाया जाता है।
विविध-
- लोकनाट्य: सवांग और करियाला।
- वन्यजीव विहार: रेणुका और सिंबलबाड़ा।
- झील: रेणुका (हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील)।
- जीवाश्म उपवन: सुकेती में फॉसिल पार्क स्थित है जहां 1972 में प्रागैतिहासिक काल में जानवरों के जीवश्म मिले थे।
- विश्वकर्मा मंदिर: हिमाचल प्रदेश के पौंटा साहिब में विश्वकर्मा मंदिर स्थित है।
- वाई.एस परमार: वाई.एस परमार हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे।
- किंकरी देवी: किंकरी देवी को पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (महारानी लक्ष्मीबाई) प्रदान किया गया है, संगहाड़ तहसील की रहने वाली है।